संस्कृत भाषा: देववाणी
and the Hindus every
यह पृष्ठ संस्कृत भाषा के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। संस्कृत, जिसे देववाणी भी कहा जाता है, विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है और भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।
संस्कृत का परिचय
संस्कृत भाषा का सामान्य परिचय, इसका महत्व और इसकी उत्पत्ति के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
भाषा का महत्व
संस्कृत का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व।
सांस्कृतिक धरोहर के रूप में
भारतीय संस्कृति को समझने में संस्कृत की भूमिका।
ज्ञान की भाषा
प्राचीन ज्ञान-विज्ञान का भंडार।
आयुर्वेद में संस्कृत
आयुर्वेद के मूल ग्रंथ संस्कृत में हैं।
दर्शनशास्त्र में संस्कृत
भारतीय दर्शन संस्कृत के माध्यम से व्यक्त हुआ।
गणित में संस्कृत
प्राचीन गणितीय सिद्धांत।
खगोलशास्त्र में संस्कृत
खगोलीय गणनाएँ और ग्रंथ।
योग में संस्कृत
योग सूत्रों की भाषा।
तर्कशास्त्र में संस्कृत
न्याय और वैशेषिक दर्शन।
अन्य भाषाओं पर प्रभाव
अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं की जननी।
हिन्दी पर प्रभाव
हिन्दी शब्दावली का स्रोत।
मराठी पर प्रभाव
मराठी में संस्कृत शब्द।
बंगाली पर प्रभाव
बंगाली साहित्य और संस्कृत।
तमिल पर प्रभाव (कम)
द्रविड़ भाषाओं में भी संस्कृत शब्द।
अंग्रेजी पर प्रभाव
कुछ अंग्रेजी शब्दों की संस्कृत जड़ें।
जर्मन पर प्रभाव
जर्मन विद्वानों का संस्कृत प्रेम।
वैज्ञानिक भाषा के रूप में
संस्कृत की व्याकरणिक संरचना और ध्वनि विज्ञान।
सुस्पष्ट व्याकरण
पाणिनि का अष्टाध्यायी।
धातुपाठ
क्रियाओं के मूल रूप।
गणपाठ
शब्दों के समूह।
उणादिसूत्र
प्रत्यय विधान।
लिंगानुशासन
लिंग निर्धारण के नियम।
परिभाषा सूत्र
व्याकरणिक परिभाषाएँ।
अधिकार सूत्र
सूत्रों का प्रभाव क्षेत्र।
ध्वनि विज्ञान
सटीक उच्चारण और ध्वनियाँ।
स्वर विज्ञान
स्वरों का वर्गीकरण।
व्यंजन विज्ञान
व्यंजनों का वर्गीकरण।
स्थान और प्रयत्न
उच्चारण स्थान और प्रयास।
अनुस्वार और विसर्ग
विशेष ध्वनियाँ।
वैदिक स्वर
उदात्त, अनुदात्त, स्वरित।
संधि नियम
ध्वनियों का मेल।
"संस्कृत" शब्द का अर्थ
"संस्कृत" शब्द की व्युत्पत्ति और अर्थ।
परिष्कृत और संस्कारित
भाषा की शुद्धता और पूर्णता का द्योतक।
व्युत्पत्ति: सम् + कृ + क्त
अच्छी तरह से किया गया।
सम् उपसर्ग
उत्तमता का सूचक।
कृ धातु
करने के अर्थ में।
क्त प्रत्यय
भूतकालिक कृदंत।
पूर्णता का भाव
भाषा की संरचनात्मक पूर्णता।
शुद्धता का भाव
भाषा की व्याकरणिक शुद्धता।
संस्कार का भाव
सांस्कृतिक रूप से परिष्कृत।
प्राचीन नाम
संस्कृत के अन्य प्राचीन नाम।
देववाणी
देवताओं की भाषा।
गीर्वाणवाणी
विद्वानों की भाषा।
अमरवाणी
अमर भाषा।
सुरभारती
देवताओं की वाणी।
ब्राह्मी
ब्रह्मा से उत्पन्न।
छन्दस्
वैदिक भाषा का एक नाम।
साहित्यिक संदर्भ
साहित्य में "संस्कृत" शब्द का प्रयोग।
काव्यों में उल्लेख
महाकाव्यों में भाषा का वर्णन।
रामायण में
वाल्मीकि रामायण की भाषा।
महाभारत में
व्यास रचित महाभारत।
पुराणों में
अठारह पुराणों की भाषा।
कालिदास के ग्रंथों में
रघुवंशम्, कुमारसंभवम्।
भास के नाटकों में
स्वप्नवासवदत्तम्।
अन्य कवियों द्वारा
भारवि, माघ, श्रीहर्ष।
व्याकरण ग्रंथों में
व्याकरणचार्यों द्वारा प्रयुक्त।
अष्टाध्यायी में
पाणिनि द्वारा भाषा का मानकीकरण।
महाभाष्य में
पतंजलि द्वारा विवेचन।
काशिका वृत्ति में
अष्टाध्यायी की टीका।
सिद्धान्त कौमुदी में
भट्टोजि दीक्षित कृत।
लघुसिद्धान्त कौमुदी में
वरदराज कृत।
अन्य टीकाएँ
विभिन्न व्याकरणिक व्याख्याएँ।
देववाणी के रूप में
संस्कृत को क्यों देववाणी कहा जाता है।
धार्मिक ग्रंथों की भाषा
वेद, उपनिषद, पुराण आदि की रचना संस्कृत में।
वेद
चारों वेद और उनकी संहिताएँ।
ऋग्वेद
स्तुतियों का संग्रह।
यजुर्वेद
यज्ञीय मंत्र।
सामवेद
गेय मंत्र।
अथर्ववेद
लौकिक और आभिचारिक मंत्र।
ब्राह्मण ग्रंथ
वेदों की व्याख्या।
आरण्यक
वन में पठनीय ग्रंथ।
उपनिषद्
आध्यात्मिक ज्ञान का स्रोत।
ईशावास्योपनिषद्
शुक्ल यजुर्वेद से।
केनोपनिषद्
सामवेद से।
कठोपनिषद्
कृष्ण यजुर्वेद से।
मुण्डकोपनिषद्
अथर्ववेद से।
माण्डूक्योपनिषद्
अथर्ववेद से।
तैत्तिरीयोपनिषद्
कृष्ण यजुर्वेद से।
मंत्रों और स्तोत्रों की भाषा
पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त।
गायत्री मंत्र
एक प्रसिद्ध वैदिक मंत्र।
मंत्र का अर्थ
सूर्य देव की स्तुति।
मंत्र का महत्व
आध्यात्मिक शक्ति।
जप विधि
उच्चारण और संख्या।
वैज्ञानिक पक्ष
ध्वनि तरंगों का प्रभाव।
सांस्कृतिक प्रभाव
दैनिक जीवन में स्थान।
अन्य भाषाओं में अनुवाद
विश्वव्यापी पहुँच।
विष्णु सहस्रनाम
भगवान विष्णु के हजार नाम।
स्तोत्र का उद्भव
महाभारत से।
पाठ का फल
पुण्य और शांति।
महत्वपूर्ण नाम
कुछ प्रमुख नामों का अर्थ।
বিভিন্ন टीकाएँ
आदि शंकराचार्य कृत भाष्य।
संगीतबद्ध प्रस्तुतियाँ
विभिन्न गायकों द्वारा।
नित्य पाठ
धार्मिक दिनचर्या का अंग।
भारतीय संस्कृति की वाहक
संस्कृत ने कैसे भारतीय संस्कृति को सहेज कर रखा है।
कला और साहित्य
काव्य, नाटक, दर्शन आदि संस्कृत में रचित।
काव्य परंपरा
महाकाव्य और खंडकाव्य।
रामायण
आदिकाव्य।
महाभारत
विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य।
रघुवंशम्
कालिदास कृत।
कुमारसंभवम्
कालिदास कृत।
किरातार्जुनीयम्
भारवि कृत।
शिशुपालवधम्
माघ कृत।
नाट्य परंपरा
संस्कृत नाटक और उनकी विशेषताएँ।
अभिज्ञानशाकुन्तलम्
कालिदास का प्रसिद्ध नाटक।
मृच्छकटिकम्
शूद्रक कृत।
स्वप्नवासवदत्तम्
भास कृत।
उत्तररामचरितम्
भवभूति कृत।
मुद्राराक्षसम्
विशाखदत्त कृत।
रत्नावली
हर्षवर्धन कृत।
दर्शन और आध्यात्म
षड्दर्शन और अन्य आध्यात्मिक ग्रंथ।
षड्दर्शन
छः प्रमुख भारतीय दर्शन।
न्याय दर्शन
गौतम प्रणीत।
वैशेषिक दर्शन
कणाद प्रणीत।
सांख्य दर्शन
कपिल प्रणीत।
योग दर्शन
पतंजलि प्रणीत।
मीमांसा दर्शन
जैमिनि प्रणीत।
वेदान्त दर्शन
बादरायण प्रणीत।
अन्य आध्यात्मिक ग्रंथ
भगवद्गीता, योगवासिष्ठ आदि।
भगवद्गीता
कर्म, ज्ञान और भक्ति का उपदेश।
योगवासिष्ठ
अध्यात्म और वैराग्य।
पुराण
नैतिक और पौराणिक कथाएँ।
आगम शास्त्र
पूजा और तंत्र।
स्मृतियाँ
सामाजिक नियम और विधान।
भक्ति साहित्य
स्तोत्र और भजन।
विश्व धरोहर के रूप में संस्कृत
संस्कृत का वैश्विक महत्व और मान्यता।
यूनेस्को द्वारा मान्यता
ऋग्वेद को 'मानवता की मौखिक और अमूर्त विरासत की उत्कृष्ट कृति' के रूप में मान्यता।
ऋग्वेद की पाण्डुलिपियाँ
विश्व की प्राचीनतम लिखित सामग्री में से एक।
संरक्षण
पाण्डुलिपियों का संरक्षण।
महत्व
मानव इतिहास के लिए।
अध्ययन
विभिन्न विश्वविद्यालयों में।
अनुवाद
अनेक भाषाओं में।
डिजिटलीकरण
ऑनलाइन उपलब्धता।
शोध कार्य
निरंतर शोध।
अन्य संस्कृत ग्रंथ
वैश्विक स्तर पर अध्ययन और शोध।
महाभारत का वैश्विक प्रभाव
कथाओं का प्रसार।
पंचतंत्र की कथाएँ
विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवादित।
कालिदास के नाटक
विश्व साहित्य में स्थान।
आयुर्वेदिक ग्रंथ
चिकित्सा पद्धतियों पर प्रभाव।
योगसूत्र
विश्वव्यापी योग अभ्यास।
भारतीय दर्शन
वैश्विक दार्शनिक चिंतन पर प्रभाव।
विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन
अनेक पश्चिमी देशों में संस्कृत अध्ययन केंद्र।
जर्मनी में संस्कृत अध्ययन
जर्मन विद्वानों का योगदान।
मैक्स मूलर
ऋग्वेद का संपादन।
अन्य विद्वान
थियोडोर औफ्रेक्ट, ओटो वॉन बोथलिंग्क।
वर्तमान विश्वविद्यालय
आज भी अनेक जर्मन विश्वविद्यालयों में संस्कृत विभाग।
शोध पत्रिकाएँ
संस्कृत संबंधित।
सम्मेलन
अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन।
छात्रवृत्ति
संस्कृत अध्ययन हेतु।
अमेरिका में संस्कृत अध्ययन
अमेरिकी विश्वविद्यालयों में संस्कृत विभाग।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय
प्राचीन केंद्र।
येल विश्वविद्यालय
संस्कृत कार्यक्रम।
कोलंबिया विश्वविद्यालय
दक्षिण एशियाई अध्ययन।
शिकागो विश्वविद्यालय
शोध और अध्ययन।
अन्य संस्थान
विभिन्न महाविद्यालय और योग केंद्र।
अमेरिकी विद्वान
विलियम ड्वाइट व्हिटनी, फ्रेंकलिन एड्गर्टन।
संस्कृत का इतिहास
संस्कृत भाषा के विकास के विभिन्न चरण।
वैदिक संस्कृत
वेदों की भाषा (लगभग 1500 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व)।
ऋग्वैदिक संस्कृत
सबसे प्राचीन रूप।
ध्वनि प्रणाली
वैदिक स्वरों का प्रयोग।
उदात्त
उच्च स्वर।
अनुदात्त
निम्न स्वर।
स्वरित
मध्यम स्वर।
प्रचय
उदात्त के बाद अनुदात्त समूह।
कम्पित स्वर
विशेष प्रकार का स्वरित।
दीर्घ स्वर
लंबे स्वर।
व्याकरणिक विशेषताएँ
लकारों की अधिकता।
लेट् लकार
संभावना अर्थ में।
लुङ्, लङ्, लिट्
भूतकाल के विविध रूप।
विकरणों की विविधता
प्रत्ययों की भिन्नता।
विभक्तियों के रूप
कुछ भिन्न रूप।
संधि नियम
कम कठोर।
शब्द-रूप
अधिक विविधता।
उत्तर वैदिक संस्कृत
ब्राह्मण ग्रंथों और उपनिषदों की भाषा।
भाषा में सरलीकरण
कुछ जटिल रूपों का लोप।
व्याकरणिक परिवर्तन
नियमितता की ओर।
शब्दावली में विकास
नए शब्दों का आगमन।
वाक्य संरचना
गद्य का विकास।
शैलीगत परिवर्तन
दार्शनिक विवेचन।
यज्ञीय प्रक्रिया
कर्मकांड की भाषा।
सामाजिक संदर्भ
समाज का प्रतिबिंब।
पाणिनि के पूर्ववर्ती वैयाकरण
आपिशलि, काश्यप आदि।
आपिशलि शिक्षा
ध्वनि विज्ञान पर।
काश्यप का योगदान
व्याकरणिक मत।
गार्ग्य का मत
निरुक्त में उद्धृत।
शाकटायन
शब्द व्युत्पत्ति।
यास्क का निरुक्त
वैदिक शब्दों का अर्थ।
प्रातिशाख्य ग्रंथ
वेदों की शाखाओं से संबंधित।
लौकिक संस्कृत (क्लासिकल संस्कृत)
पाणिनि द्वारा मानकीकृत (लगभग 500 ईसा पूर्व के बाद)।
पाणिनि और अष्टाध्यायी
संस्कृत व्याकरण का आधार।
अष्टाध्यायी की संरचना
आठ अध्याय, लगभग 4000 सूत्र।
सूत्र शैली
संक्षिप्त और सारगर्भित।
प्रत्याहार
संक्षिप्त रूप।
धातुपाठ
क्रियाओं का संग्रह।
गणपाठ
शब्द समूहों का संग्रह।
माहेश्वर सूत्र
वर्णमाला का आधार।
अधिकार और परिभाषा
सूत्रों के प्रकार।
अष्टाध्यायी का प्रभाव
भाषा को स्थिरता प्रदान की।
परवर्ती व्याकरण
सभी पाणिनि पर आधारित।
भाषा का मानकीकरण
एक निश्चित रूप।
वैज्ञानिकता
तार्किक और सुव्यवस्थित।
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग हेतु उपयुक्तता
संरचना के कारण।
अध्ययन-अध्यापन
मुख्य पाठ्यग्रंथ।
टीकाएँ
काशिका, महाभाष्य आदि।
रामायण और महाभारत की भाषा
महाकाव्यों की संस्कृत।
वाल्मीकि रामायण
सरल और प्रवाहमयी संस्कृत।
अनुष्टुप् छंद
मुख्य छंद।
उपमाएँ
प्रसिद्ध उपमाएँ।
नैतिक मूल्य
आदर्श चरित्र।
कथावस्तु
राम की कथा।
सांस्कृतिक महत्व
भारतीय संस्कृति का आधार।
लोकप्रियता
जनमानस में व्याप्त।
महाभारत
विशालकाय ग्रंथ, विविध शैलियाँ।
भगवद्गीता
दार्शनिक संवाद।
आख्यान और उपाख्यान
अनेक कथाएँ।
राजनीति और धर्म
विवेचन।
व्यास की शैली
गंभीर और विस्तृत।
पात्र चित्रण
विविध चरित्र।
शांति पर्व
राजधर्म का उपदेश।
मध्यकालीन संस्कृत
काव्य, नाटक, दर्शन और वैज्ञानिक ग्रंथों का विकास।
काव्य और नाटक
कालिदास, भवभूति, भारवि, माघ आदि।
कालिदास
अभिज्ञानशाकुन्तलम्, रघुवंशम्।
उपमा कालिदासस्य
प्रसिद्ध उक्ति।
मेघदूतम्
खंडकाव्य।
कुमारसंभवम्
महाकाव्य।
मालविकाग्निमित्रम्
नाटक।
विक्रमोर्वशीयम्
नाटक।
ऋतुसंहारम्
गीतिकाव्य।
अन्य प्रमुख कवि
भारवि, माघ, श्रीहर्ष।
भारवि का किरातार्जुनीयम्
अर्थगौरव के लिए प्रसिद्ध।
माघ का शिशुपालवधम्
उपमा, अर्थगौरव, पदलालित्य।
श्रीहर्ष का नैषधीयचरितम्
पांडित्यपूर्ण काव्य।
दण्डी का दशकुमारचरितम्
गद्यकाव्य।
बाणभट्ट की कादम्बरी
उत्कृष्ट गद्यकाव्य।
अमरुक का अमरुकशतकम्
शृंगारिक मुक्तक।
दर्शन और टीकाएँ
शंकर, रामानुज, मध्व आदि के भाष्य।
अद्वैत वेदान्त
आदि शंकराचार्य।
ब्रह्मसूत्र भाष्य
प्रमुख ग्रंथ।
उपनिषद् भाष्य
ईश, केन, कठ आदि पर।
गीता भाष्य
भगवद्गीता पर।
विवेकचूडामणि
प्रकरण ग्रंथ।
भज गोविन्दम्
स्तोत्र।
सौन्दर्यलहरी
शक्ति उपासना।
विशिष्टाद्वैत और द्वैत
रामानुज और मध्वाचार्य।
श्रीभाष्य
रामानुजाचार्य कृत।
पूर्णप्रज्ञ भाष्य
मध्वाचार्य कृत।
अन्य दार्शनिक संप्रदाय
जैसे द्वैताद्वैत, शुद्धाद्वैत।
न्याय-वैशेषिक का विकास
गंगेश उपाध्याय, उदयन।
सांख्य-योग की टीकाएँ
वाचस्पति मिश्र।
मीमांसा का विकास
कुमारिल भट्ट, प्रभाकर।
आधुनिक काल में संस्कृत
पुनर्जागरण और वर्तमान स्थिति।
19वीं और 20वीं सदी
पश्चिमी विद्वानों का प्रभाव और भारतीय पुनर्जागरण।
संस्कृत पत्रकारिता का आरंभ
सुधर्मा जैसी पत्रिकाएँ।
विद्या मार्तण्ड
प्रारंभिक पत्रिकाओं में से।
संस्कृत चन्द्रिका
महत्वपूर्ण पत्रिका।
सूनृतवादिनी
अन्य पत्रिका।
आधुनिक विषय
समसामयिक विषयों पर लेख।
लेखक और संपादक
योगदान।
चुनौतियाँ
प्रसार और पाठक वर्ग।
मौलिक संस्कृत रचनाएँ
काव्य, नाटक, उपन्यास।
पंडिता क्षमाराव
आधुनिक संस्कृत कवयित्री।
रामकरण शर्मा
कवि और विद्वान।
सत्यव्रत शास्त्री
ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता।
अभिराज राजेन्द्र मिश्र
नाटककार और कवि।
रेवाप्रसाद द्विवेदी
महाकाव्यकार।
जगन्नाथ पाठक
गीतिकाव्य।
वर्तमान स्थिति
भारत और विदेश में संस्कृत अध्ययन।
शिक्षण संस्थान
विश्वविद्यालय और गुरुकुल।
संस्कृत विश्वविद्यालय
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान आदि।
गुरुकुल परंपरा
पारंपरिक शिक्षा।
स्कूलों में संस्कृत
त्रिभाषा सूत्र के अंतर्गत।
ऑनलाइन पाठ्यक्रम
डिजिटल माध्यम से शिक्षण।
शोध संस्थान
संस्कृत शोध को बढ़ावा।
गैर-सरकारी संगठन
संस्कृत भारती आदि।
संस्कृत भारती जैसे संगठन
संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के प्रयास।
संभाषण शिविर
बोलचाल की संस्कृत।
प्रकाशन
सरल पुस्तकें।
दूरस्थ शिक्षा
पत्राचार पाठ्यक्रम।
कार्यशालाएँ
विभिन्न आयु वर्ग के लिए।
बालकेन्द्र
बच्चों के लिए संस्कृत।
अखिल भारतीय स्तर पर
व्यापक नेटवर्क।
संस्कृत का भविष्य
चुनौतियाँ और संभावनाएँ।
प्रौद्योगिकी में उपयोग
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और NLP में संभावनाएँ।
प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP)
सुस्पष्ट व्याकरण के कारण उपयुक्त।
मशीनी अनुवाद
संस्कृत से अन्य भाषाओं में।
टेक्स्ट-टू-स्पीच
संस्कृत पाठ का वाचन।
स्पीच-टू-टेक्स्ट
संस्कृत वाणी को पाठ में बदलना।
ज्ञान représentation
ज्ञान को संरचित करना।
शब्दार्थ विश्लेषण
शब्दों के अर्थ समझना।
शोध परियोजनाएँ
आईआईटी आदि में।
डेटाबेस और ज्ञान प्रबंधन
संरचनात्मक स्पष्टता।
ओंकोलॉजिकल इंजीनियरिंग
ज्ञान संरचना।
सिमेंटिक वेब
अर्थपूर्ण वेब।
पाण्डुलिपि संरक्षण
डिजिटल अभिलेखागार।
डिजिटल उपकरण
संस्कृत सीखने के लिए।
कोश निर्माण
डिजिटल शब्दकोश।
व्याकरण विश्लेषक
सॉफ्टवेयर उपकरण।
पुनरुद्धार के प्रयास
सरकारी और गैर-सरकारी पहल।
सरकारी नीतियाँ
नई शिक्षा नीति में स्थान।
वित्तीय सहायता
संस्थानों और शोधार्थियों को।
पुरस्कार और सम्मान
विद्वानों को प्रोत्साहन।
पाठ्यक्रम विकास
आधुनिक और रुचिकर।
शिक्षक प्रशिक्षण
गुणवत्ता में सुधार।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
ज्ञान का आदान-प्रदान।
जागरूकता अभियान
महत्व का प्रचार।
जन सामान्य की भूमिका
सीखने और प्रयोग करने की इच्छा।
दैनिक जीवन में प्रयोग
शुभकामनाएँ, सामान्य वाक्यांश।
बच्चों को सिखाना
अगली पीढ़ी तक पहुंचाना।
संस्कृत कार्यक्रमों में भाग लेना
सांस्कृतिक जुड़ाव।
संस्कृत साहित्य पढ़ना
ज्ञानार्जन।
समूह अध्ययन
साथ मिलकर सीखना।
सोशल मीडिया का उपयोग
प्रचार-प्रसार।
विभिन्न बोलियों से संबंध
प्राकृत, पालि और अपभ्रंश भाषाओं का संस्कृत से संबंध।
प्राकृत भाषाएँ
मध्य भारतीय-आर्य भाषाएँ।
शौरसेनी प्राकृत
मध्य देश की भाषा, नाटकों में प्रयुक्त।
नाटकों में प्रयोग
स्त्री और निम्न पात्रों द्वारा।
भौगोलिक क्षेत्र
शूरसेन प्रदेश।
ध्वनि परिवर्तन
संस्कृत से भिन्न।
व्याकरणिक सरलीकरण
रूपों में कमी।
जैन साहित्य
कुछ जैन आगम।
परवर्ती भाषाओं का आधार
हिन्दी आदि।
मागधी प्राकृत
पूर्वी भारत की भाषा, नाटकों में प्रयुक्त।
अशोक के शिलालेख
कुछ प्रभाव।
नाटकों में निम्न पात्र
विशेषतः मागध।
ध्वन्यात्मक विशेषताएँ
जैसे 'र' का 'ल'।
पूर्वी भाषाओं का स्रोत
बंगाली, असमिया, ओड़िया।
जैन और बौद्ध ग्रंथ
सीमित प्रयोग।
साहित्यिक उदाहरण
अश्वघोष के नाटकों में।
पालि भाषा
थेरवाद बौद्ध धर्म की भाषा।
त्रिपिटक
बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथ।
सुत्त पिटक
बुद्ध के उपदेश।
विनय पिटक
भिक्षुओं के नियम।
अभिधम्म पिटक
दार्शनिक विश्लेषण।
टीकाएँ और अनुपिटक ग्रंथ
विस्तृत साहित्य।
अंतर्राष्ट्रीय महत्व
दक्षिण-पूर्व एशिया में।
अध्ययन केंद्र
विश्व भर में।
संस्कृत से समानताएँ और भिन्नताएँ
ध्वनि और व्याकरण।
ध्वनि सरलीकरण
संयुक्त व्यंजनों का सरलीकरण।
व्याकरणिक रूप
कम जटिल।
शब्दावली
अधिकांश संस्कृत मूल के।
लिंग और वचन
संस्कृत के समान।
कारक रचना
भिन्नताएँ।
संधि नियम
अधिक सरल।
अपभ्रंश भाषाएँ
आधुनिक भारतीय-आर्य भाषाओं की पूर्ववर्ती।
साहित्यिक अपभ्रंश
काव्य और दोहे।
स्वयंभू
पउमचरिउ के रचयिता।
हेमचन्द्र
व्याकरण ग्रंथ "सिद्धहेमशब्दानुशासन"।
पुष्पदन्त
महापुराण के रचयिता।
धनपाल
भविस्सयत्तकहा।
अब्दुल रहमान
संदेश रासक।
चारण काव्य
वीरगाथाएँ।
क्षेत्रीय विविधताएँ
विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न रूप।
शौरसेनी अपभ्रंश
पश्चिमी हिन्दी का आधार।
मागधी अपभ्रंश
पूर्वी भाषाओं का आधार।
अर्धमागधी अपभ्रंश
पूर्वी हिन्दी का आधार।
महाराष्ट्री अपभ्रंश
मराठी का आधार।
पैशाची अपभ्रंश
पंजाबी, सिन्धी पर प्रभाव।
ब्राचड अपभ्रंश
सिन्धी से संबंधित।
संस्कृत की विशेषताएँ
संस्कृत भाषा की प्रमुख व्याकरणिक और शाब्दिक विशेषताएँ।
अत्यधिक विकसित व्याकरण
पाणिनि का अष्टाध्यायी विश्व प्रसिद्ध है।
संधि नियम
शब्दों के मेल के सुस्पष्ट नियम।
स्वर संधि
दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण्, अयादि।
दीर्घ संधि (अकः सवर्णे दीर्घः)
समान स्वरों का मेल।
गुण संधि (आद्गुणः)
अ/आ के बाद इ/ई, उ/ऊ, ऋ।
वृद्धि संधि (वृद्धिरेचि)
अ/आ के बाद ए/ऐ, ओ/औ।
यण् संधि (इको यणचि)
इ/ई, उ/ऊ, ऋ के बाद भिन्न स्वर।
अयादि संधि (एचोऽयवायावः)
ए, ऐ, ओ, औ के बाद स्वर।
पूर्वरूप संधि (एङः पदान्तादति)
पदान्त ए/ओ के बाद अ।
व्यंजन संधि
व्यंजनों के मेल से परिवर्तन।
श्चुत्व संधि (स्तोः श्चुना श्चुः)
स/तवर्ग का श/चवर्ग से योग।
ष्टुत्व संधि (ष्टुना ष्टुः)
स/तवर्ग का ष/टवर्ग से योग।
जश्त्व संधि (झलां जशोऽन्ते)
पदान्त झल् का जश्।
चर्त्व संधि (खरि च)
झल् के बाद खर्।
अनुस्वार संधि (मोऽनुस्वारः)
पदान्त म् के बाद व्यंजन।
परसवर्ण संधि (अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः)
अनुस्वार के बाद यय्।
शब्द-रूप और धातु-रूप
विस्तृत और नियमित व्यवस्था।
सात विभक्तियाँ और तीन वचन
एकवचन, द्विवचन, बहुवचन।
प्रथमा विभक्ति
कर्ता कारक।
द्वितीया विभक्ति
कर्म कारक।
तृतीया विभक्ति
करण कारक।
चतुर्थी विभक्ति
संप्रदान कारक।
पञ्चमी विभक्ति
अपादान कारक।
षष्ठी विभक्ति
संबंध कारक।
दस लकार (काल और अवस्थाएँ)
क्रियाओं के विभिन्न रूप।
लट् लकार
वर्तमान काल।
लिट् लकार
परोक्ष भूतकाल।
लुट् लकार
अनद्यतन भविष्यत् काल।
लृट् लकार
सामान्य भविष्यत् काल।
लेट् लकार (वैदिक)
संभावना/आज्ञा।
लोट् लकार
आज्ञार्थक।
विशाल शब्द भंडार
लाखों शब्द, नए शब्द बनाने की क्षमता।
उपसर्ग और प्रत्यय
नए शब्दों के निर्माण में सहायक।
22 प्रमुख उपसर्ग
प्र, परा, अप, सम्, अनु, अव आदि।
प्र (प्रकर्ष, प्रगति)
आगे, अधिक।
परा (पराजय, पराभव)
विपरीत, अनादर।
अप (अपमान, अपशब्द)
दूर, हीनता।
सम् (संयोग, संस्कृत)
अच्छी तरह, साथ।
अनु (अनुकरण, अनुवाद)
पीछे, समान।
अव (अवज्ञा, अवतरण)
नीचे, दूर।
कृत् और तद्धित प्रत्यय
धातुओं और शब्दों से नए शब्द।
कृत् प्रत्यय (धातुओं से)
क्त, क्तवतु, शतृ, शानच्।
तद्धित प्रत्यय (शब्दों से)
अण्, ठक्, तरप्, तमप्।
स्त्री प्रत्यय
टाप्, ङीप्, ङीष्।
ण्यत् प्रत्यय
योग्यता अर्थ में।
तुमुन् प्रत्यय
के लिए अर्थ में।
ल्यप् प्रत्यय
पूर्वकालिक क्रिया।
समास प्रक्रिया
अनेक शब्दों को मिलाकर एक शब्द बनाना।
प्रमुख समास के भेद
अव्ययीभाव, तत्पुरुष, कर्मधारय, द्विगु, बहुव्रीहि, द्वंद्व।
अव्ययीभाव समास
पूर्वपद प्रधान।
तत्पुरुष समास
उत्तरपद प्रधान।
कर्मधारय समास
विशेषण-विशेष्य भाव।
द्विगु समास
संख्यावाची पूर्वपद।
बहुव्रीहि समास
अन्यपद प्रधान।
द्वंद्व समास
उभयपद प्रधान।
समास के उदाहरण
राजपुरुषः, पीताम्बरः, प्रतिदिनम्।
राजपुरुषः (राज्ञः पुरुषः)
तत्पुरुष।
पीताम्बरः (पीतम् अम्बरं यस्य सः)
बहुव्रीहि।
प्रतिदिनम् (दिनं दिनं प्रति)
अव्ययीभाव।
नीलोत्पलम् (नीलम् उत्पलम्)
कर्मधारय।
त्रिभुवनम् (त्रयाणां भुवनानां समाहारः)
द्विगु।
रामलक्ष्मणौ (रामश्च लक्ष्मणश्च)
द्वंद्व।
ध्वन्यात्मक शुद्धता
प्रत्येक ध्वनि का निश्चित उच्चारण स्थान।
वर्णमाला का वैज्ञानिक वर्गीकरण
स्वर और व्यंजन।
स्वर (अच्)
ह्रस्व, दीर्घ, प्लुत।
ह्रस्व स्वर
अ, इ, उ, ऋ, लृ।
दीर्घ स्वर
आ, ई, ऊ, ॠ, ए, ऐ, ओ, औ।
प्लुत स्वर
त्रिमात्रिक स्वर।
उदात्त, अनुदात्त, स्वरित
वैदिक स्वर।
अनुनासिक और निरनुनासिक
उच्चारण भेद।
स्थान (कंठ, तालु आदि)
उच्चारण स्थान।
व्यंजन (हल्)
स्पर्श, अन्तस्थ, ऊष्म।
स्पर्श व्यंजन (वर्गीय)
कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग।
अन्तस्थ व्यंजन
य, र, ल, व।
ऊष्म व्यंजन
श, ष, स, ह।
अयोगवाह
अनुस्वार, विसर्ग।
संयुक्त व्यंजन
क्ष, त्र, ज्ञ।
अल्पप्राण और महाप्राण
श्वास की मात्रा।
उच्चारण स्थान और प्रयत्न
मुख के विभिन्न भागों से ध्वनियों का उत्पादन।
आभ्यन्तर प्रयत्न
स्पृष्ट, ईषत् स्पृष्ट, विवृत, संवृत।
स्पृष्ट
स्पर्श व्यंजनों का।
ईषत् स्पृष्ट
अन्तस्थ व्यंजनों का।
विवृत
स्वरों का।
ईषत् विवृत
ऊष्म व्यंजनों का।
संवृत (प्रयोग में ह्रस्व 'अ')
विशेष स्थिति।
अन्य मत
कुछ भिन्न वर्गीकरण भी।
बाह्य प्रयत्न
विवार, संवार, श्वास, नाद, घोष, अघोष, अल्पप्राण, महाप्राण, उदात्त, अनुदात्त, स्वरित।
अघोष
वर्गों के प्रथम, द्वितीय वर्ण, श, ष, स।
घोष
वर्गों के तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण, य, र, ल, व, ह।
अल्पप्राण
वर्गों के प्रथम, तृतीय, पंचम वर्ण, य, र, ल, व।
महाप्राण
वर्गों के द्वितीय, चतुर्थ वर्ण, श, ष, स, ह।
श्वास और नाद
कंठ की स्थिति।
विवार और संवार
मुख का खुलना।
संस्कृत साहित्य
संस्कृत साहित्य की प्रमुख विधाएँ और ग्रंथ।
वेद और उपनिषद्
ज्ञान का प्राचीनतम स्रोत।
चार वेद
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।
ऋग्वेद
देवताओं की स्तुतियाँ।
मंडल संरचना
दस मंडल।
प्रमुख देवता
इंद्र, अग्नि, सोम, वरुण।
सूक्त
मंत्रों का संग्रह।
ऋषि
मंत्रद्रष्टा।
शाखाएँ
शाकल, बाष्कल आदि।
महत्व
धार्मिक और ऐतिहासिक।
यजुर्वेद
यज्ञीय कर्मकांड के मंत्र।
कृष्ण यजुर्वेद
तैत्तिरीय, मैत्रायणी, कठ, कपिष्ठल।
शुक्ल यजुर्वेद
वाजसनेयी संहिता।
अध्वर्यु
यज्ञकर्ता पुरोहित।
गद्य और पद्य मिश्रित
रचना शैली।
यज्ञ प्रक्रिया
विस्तृत वर्णन।
दार्शनिक तत्व
ईशावास्योपनिषद् आदि।
उपनिषद्
आध्यात्मिक और दार्शनिक चिंतन।
प्रमुख उपनिषद्
ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य आदि।
ईशावास्योपनिषद्
"ईशा वास्यमिदं सर्वम्"।
केनोपनिषद्
"केन इषितं पतति प्रेषितं मनः"।
कठोपनिषद्
नचिकेता और यम का संवाद।
प्रश्न उपनिषद्
पिप्पलाद ऋषि के उत्तर।
मुण्डकोपनिषद्
परा और अपरा विद्या।
माण्डूक्योपनिषद्
ॐ कार की व्याख्या।
वेदान्त दर्शन का आधार
"ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या"।
महावाक्य
अहं ब्रह्मास्मि, तत्त्वमसि आदि।
आत्मज्ञान
मोक्ष का मार्ग।
कर्म और पुनर्जन्म
सिद्धांत।
गुरु-शिष्य परंपरा
ज्ञान का हस्तांतरण।
अद्वैत, विशिष्टाद्वैत, द्वैत
मुख्य वेदान्त शाखाएँ।
आधुनिक प्रभाव
स्वामी विवेकानंद आदि।
महाकाव्य
रामायण और महाभारत।
रामायण (वाल्मीकि कृत)
आदर्श चरित्र और नैतिक मूल्य।
सात काण्ड
बालकाण्ड से उत्तरकाण्ड तक।
बालकाण्ड
राम का जन्म और विवाह।
अयोध्याकाण्ड
वनगमन की तैयारी।
अरण्यकाण्ड
वनवास और सीता हरण।
किष्किन्धाकाण्ड
सुग्रीव से मित्रता।
सुन्दरकाण्ड
हनुमान का लंका गमन।
युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड)
राम-रावण युद्ध।
प्रमुख पात्र
राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण।
राम
मर्यादा पुरुषोत्तम।
सीता
आदर्श पत्नी।
लक्ष्मण
आदर्श भाई।
हनुमान
आदर्श भक्त और सेवक।
रावण
अहंकारी विद्वान।
भरत
त्याग की मूर्ति।
महाभारत (व्यास कृत)
विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य।
अठारह पर्व
आदिपर्व से स्वर्गारोहणपर्व तक।
आदिपर्व
कुरुवंश का इतिहास।
सभापर्व
द्यूत क्रीड़ा और द्रौपदी चीरहरण।
वनपर्व
पांडवों का वनवास।
विराटपर्व
अज्ञातवास।
उद्योगपर्व
युद्ध की तैयारी।
भीष्मपर्व (भगवद्गीता सहित)
युद्ध का आरंभ।
भगवद्गीता
कर्म, ज्ञान और भक्ति का उपदेश।
कर्मयोग
निष्काम कर्म।
ज्ञानयोग
आत्मज्ञान का मार्ग।
भक्तियोग
ईश्वर के प्रति समर्पण।
स्थितप्रज्ञ
आदर्श योगी के लक्षण।
विश्वरूप दर्शन
अर्जुन को कृष्ण का विराट रूप।
तीन गुण
सत्त्व, रजस्, तमस्।
पुराण और इतिहास
अठारह महापुराण और उपपुराण।
अठारह महापुराण
ब्रह्मा, विष्णु, शिव आदि से संबंधित।
सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर, वंशानुचरित
पुराणों के पाँच लक्षण।
सर्ग
सृष्टि का वर्णन।
प्रतिसर्ग
प्रलय और पुनः सृष्टि।
वंश
देवताओं और ऋषियों की वंशावली।
मन्वन्तर
मनुओं के काल का वर्णन।
वंशानुचरित
सूर्यवंशी और चंद्रवंशी राजाओं का इतिहास।
उपपुराण
अठारह उपपुराण भी।
प्रमुख पुराण
विष्णु पुराण, शिव पुराण, भागवत पुराण, मत्स्य पुराण।
विष्णु पुराण
विष्णु की महिमा।
शिव पुराण
शिव की लीलाएँ।
भागवत पुराण
कृष्ण भक्ति का प्रमुख ग्रंथ।
मत्स्य पुराण
मत्स्य अवतार की कथा।
मार्कण्डेय पुराण
दुर्गा सप्तशती सहित।
अग्नि पुराण
विविध विषयों का विश्वकोश।
इतिहास ग्रंथ
जैसे कल्हण की राजतरंगिणी।
राजतरंगिणी
कश्मीर का क्रमबद्ध इतिहास।
कल्हण
12वीं सदी के कश्मीरी कवि।
ऐतिहासिक स्रोत
शिलालेख, प्राचीन ग्रंथ।
काव्य शैली
इतिहास और काव्य का मिश्रण।
सामाजिक चित्रण
तत्कालीन समाज का वर्णन।
राजनीतिक घटनाएँ
राजाओं का उत्थान-पतन।
परवर्ती इतिहासकार
जोनराज, श्रीवर।
अन्य ऐतिहासिक रचनाएँ
सीमित संख्या में।
हर्षचरितम् (बाणभट्ट)
राजा हर्षवर्धन का जीवनचरित।
विक्रमांकदेवचरितम् (बिल्हण)
चालुक्य राजा विक्रमादित्य षष्ठ का।
पृथ्वीराजविजय (जयानक)
पृथ्वीराज चौहान पर।
कुमारपालचरित (हेमचन्द्र)
गुजरात के राजा कुमारपाल पर।
नवसाहसांकचरित (पद्मगुप्त)
परमार राजा सिंधुराज पर।
गउडवहो (वाक्पतिराज) - प्राकृत में
कन्नौज के यशोवर्मन पर।
आधुनिक युग में संस्कृत
समकालीन विश्व में संस्कृत की स्थिति और प्रासंगिकता।
शिक्षा और अनुसंधान
विश्वविद्यालयों और संस्थानों में अध्ययन।
भारत में संस्कृत विश्वविद्यालय
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ आदि।
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (मानित विश्वविद्यालय)
अनेक परिसर।
पाठ्यक्रम
शास्त्री, आचार्य, विद्यावारिधि।
शोध कार्य
विभिन्न विषयों पर।
प्रकाशन
ग्रंथ और पत्रिकाएँ।
दूरस्थ शिक्षा
कार्यक्रम।
पाण्डुलिपि संरक्षण
प्रयास।
संगोष्ठियाँ
नियमित आयोजन।
अन्य संस्कृत विश्वविद्यालय
श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय (कालടി), सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय (वाराणसी)।
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय
प्राचीनतम में से एक।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU)
संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय
पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा।
विभिन्न राज्यों के संस्कृत विश्वविद्यालय
उत्तराखंड, राजस्थान आदि।
मान्यता प्राप्त कॉलेज
संस्कृत महाविद्यालय।
पीठ और मठ
पारंपरिक अध्ययन केंद्र।
विदेशों में संस्कृत अध्ययन
जर्मनी, अमेरिका, जापान आदि में।
जर्मन इंडोलॉजी
मैक्स मूलर का योगदान।
हीडलबर्ग विश्वविद्यालय
प्रमुख केंद्र।
बर्लिन विश्वविद्यालय
संस्कृत अध्ययन।
गोटिंगेन विश्वविद्यालय
प्राचीन परंपरा।
जर्मन शोधकर्ता
निरंतर योगदान।
संस्कृत-जर्मन शब्दकोश
महत्वपूर्ण कार्य।
भारतीय विद्या पर शोध
व्यापक।
अमेरिकी विश्वविद्यालय
हार्वर्ड, येल, शिकागो।
हार्वर्ड ओरिएंटल सीरीज
महत्वपूर्ण प्रकाशन।
साउथ एशियन स्टडीज विभाग
संस्कृत एक प्रमुख भाषा।
योग और दर्शन में रुचि
संस्कृत अध्ययन को बढ़ावा।
भारतीय प्रवासी
संस्कृति संरक्षण में योगदान।
डिजिटल संस्कृत लाइब्रेरीज़
ऑनलाइन संसाधन।
विद्वानों का आदान-प्रदान
भारत और अमेरिका के बीच।
संस्कृत और प्रौद्योगिकी
कंप्यूटर विज्ञान में संस्कृत की संभावनाएँ।
प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP)
संस्कृत व्याकरण की सटीकता।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
ज्ञान प्रतिनिधित्व के लिए उपयुक्त।
मशीन लर्निंग मॉडल
संस्कृत पाठ विश्लेषण।
तार्किक संरचना
AI एल्गोरिदम के लिए।
नॉलेज ग्राफ
संस्कृत ग्रंथों से।
स्वचालित अनुवाद
चुनौतियाँ और प्रगति।
भाषण पहचान
सटीक उच्चारण।
पाठ सारांशीकरण
मुख्य बिंदुओं का निष्कर्षण।
नासा द्वारा शोध (कथित)
भाषा की वैज्ञानिकता पर विचार। (यह एक लोकप्रिय मिथक है, नासा आधिकारिक तौर पर संस्कृत का प्रयोग नहीं करता, पर इसकी संरचना की प्रशंसा की जाती है)
रिक ब्रिग्स का पेपर (1985)
AI के लिए संस्कृत की उपयुक्तता।
संरचनात्मक स्पष्टता
कंप्यूटर के लिए आदर्श।
असंदिग्धता
नियम आधारित व्याकरण।
विवाद और स्पष्टीकरण
नासा का आधिकारिक रुख।
वैज्ञानिक समुदाय में चर्चा
भाषाविदों और कंप्यूटर वैज्ञानिकों के बीच।
संस्कृत का संभावित उपयोग
सैद्धांतिक स्तर पर।
डिजिटल संसाधन
ऑनलाइन शब्दकोश, पाठ संग्रह, उपकरण।
ऑनलाइन संस्कृत शब्दकोश
Spokensanskrit.org, Apte आदि।
मोनियर-विलियम्स शब्दकोश
डिजिटल रूप में उपलब्ध।
आपटे का संस्कृत-हिन्दी कोश
ऑनलाइन सुलभ।
विशिष्ट कोश
धातुपाठ, अमरकोश आदि।
बहुभाषी कोश
संस्कृत से अन्य भाषाओं में।
मोबाइल ऐप्स
सीखने और संदर्भ के लिए।
उच्चारण सहित
ऑडियो सुविधा।
GRETIL और अन्य पाठ संग्रह
डिजिटल रूप में संस्कृत ग्रंथ।
GRETIL (Göttingen Register of E-texts in Indian Languages)
बड़ा संग्रह।
संस्कृत डॉक्यूमेंट्स ऑर्ग
स्तोत्र, ग्रंथ आदि।
इंटरनेट आर्काइव
पुरानी पुस्तकें और पाण्डुलिपियाँ।
डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया
भारतीय भाषाओं के ग्रंथ।
विश्वविद्यालयों के डिजिटल संग्रह
शोध हेतु।
विकिस्रोत (Wikisource)
मुक्त स्रोत ग्रंथ।
संस्कृत का पुनरुत्थान
संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के प्रयास।
संस्कृत भारती
बोलचाल की संस्कृत को बढ़ावा।
संभाषण शिविर
10 दिवसीय कार्यशालाएँ।
सरल शिक्षण पद्धति
प्रत्यक्ष विधि।
सभी आयु वर्ग के लिए
बच्चे, युवा, वयस्क।
व्याकरण पर कम जोर
बोलने पर अधिक।
आत्मविश्वास बढ़ाना
संस्कृत में संवाद।
व्यापक नेटवर्क
देश-विदेश में।
स्वयंसेवक आधारित
समर्पित कार्यकर्ता।
"वदतु संस्कृतम्" अभियान
"संस्कृत बोलो" का नारा।
जागरूकता कार्यक्रम
रैलियाँ, गोष्ठियाँ।
संस्कृत ग्राम
जैसे मत्तूर (कर्नाटक)।
संस्कृत परिवार
घरों में संस्कृत का प्रयोग।
प्रतियोगिताएँ
भाषण, श्लोकपाठ।
प्रकाशन
सरल पुस्तकें, पत्रिकाएँ।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
नाटक, संगीत।
सरकारी पहल
नीतिगत समर्थन और वित्तपोषण।
नई शिक्षा नीति 2020
संस्कृत को मुख्यधारा में लाने पर जोर।
त्रिभाषा सूत्र
एक विकल्प के रूप में।
शिक्षक प्रशिक्षण
गुणवत्ता सुधार।
ऑनलाइन संसाधन
ई-पाठशाला।
शोध को बढ़ावा
अनुदान और छात्रवृत्ति।
पाण्डुलिपि संरक्षण
राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर।
संस्कृत अकादमियाँ और संस्थान
राज्य और केंद्र स्तर पर।
दिल्ली संस्कृत अकादमी
कार्यक्रम और प्रकाशन।
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम्
पुरस्कार और गतिविधियाँ।
अन्य राज्यों की अकादमियाँ
प्रचार-प्रसार।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय
समन्वय और मार्गदर्शन।
आईसीसीआर (ICCR)
विदेशों में प्रचार।
साहित्य अकादमी
संस्कृत साहित्य को प्रोत्साहन।
संस्कृत सीखने के संसाधन
संस्कृत भाषा सीखने के लिए उपलब्ध विभिन्न स्रोत और माध्यम।
ऑनलाइन पाठ्यक्रम और वेबसाइटें
इंटरनेट के माध्यम से संस्कृत सीखें।
चिपमंक्स (Chinmaya International Foundation)
संरचित पाठ्यक्रम।
प्रारंभिक से उन्नत स्तर
विभिन्न स्तर के कोर्स।
वीडियो व्याख्यान
विद्वानों द्वारा।
अध्ययन सामग्री
पीडीएफ और नोट्स।
अभ्यास प्रश्न
स्व-मूल्यांकन।
प्रमाणपत्र
कोर्स पूरा करने पर।
वेबिनार और कार्यशालाएँ
अतिरिक्त सहायता।
लचीलापन
अपनी गति से सीखें।
विशेषज्ञता पाठ्यक्रम
व्याकरण, साहित्य, दर्शन।
पाणिनि व्याकरण
गहन अध्ययन।
भगवद्गीता कोर्स
श्लोक और अर्थ।
उपनिषद् अध्ययन
दार्शनिक समझ।
काव्यशास्त्र
साहित्यिक सौंदर्य।
ज्योतिष और आयुर्वेद
मूल ग्रंथ।
संस्कृत संभाषण
बोलचाल का अभ्यास।
संस्कृत भारती ऑनलाइन
संभाषण और पत्राचार पाठ्यक्रम।
पत्राचार द्वारा संस्कृतम्
घर बैठे सीखें।
प्रवेशिका, प्रथमा, द्वितीया, तृतीया
चार स्तर।
सरल पुस्तकें
स्व-अध्ययन सामग्री।
परीक्षाएँ
प्रमाणपत्र के लिए।
मार्गदर्शन
स्थानीय केंद्रों द्वारा।
न्यूनतम शुल्क
सुलभ शिक्षा।
व्यापक पहुँच
भारत और विदेश में।
लाइव ऑनलाइन कक्षाएँ
इंटरैक्टिव शिक्षण।
ज़ूम/गूगल मीट द्वारा
शिक्षक से सीधा संवाद।
समूह अध्ययन
अन्य छात्रों के साथ।
नियमित कक्षाएँ
साप्ताहिक या द्विसाप्ताहिक।
शंका समाधान
तुरंत उत्तर।
विभिन्न समय क्षेत्र
वैश्विक छात्रों के लिए।
बच्चों के लिए विशेष बैच
रुचिकर तरीके से।
मोबाइल ऐप्स
संस्कृत सीखने के लिए उपयोगी ऐप्स।
Learn Sanskrit (App Inc)
शब्दावली, व्याकरण, वाक्य।
इंटरैक्टिव पाठ
आसान और मजेदार।
वर्णमाला
उच्चारण सहित।
दैनिक उपयोग के शब्द
चित्रों के साथ।
वाक्य निर्माण
अभ्यास।
क्विज़
ज्ञान परीक्षण।
ऑफ़लाइन पहुँच
बिना इंटरनेट के भी।
प्रगति ट्रैकिंग
सीखने का स्तर।
ऑडियो उच्चारण
सही बोलने का अभ्यास।
देशी वक्ताओं द्वारा
शुद्ध उच्चारण।
धीमी गति विकल्प
समझने में आसानी।
रिकॉर्डिंग सुविधा (कुछ में)
अपना उच्चारण जाँचें।
संवाद
रोजमर्रा की बातचीत।
मंत्र और श्लोक
ऑडियो सहित।
कहानियाँ
सरल संस्कृत में।
Sanskrit Dictionary (विभिन्न डेवलपर्स)
शब्दकोश और अनुवाद उपकरण।
अंग्रेजी-संस्कृत और संस्कृत-अंग्रेजी
द्विभाषी कोश।
विशाल शब्द भंडार
हजारों शब्द।
खोज सुविधा
तेज और आसान।
ऑफलाइन उपयोग
इंटरनेट की आवश्यकता नहीं।
उदाहरण वाक्य
शब्दों का सही प्रयोग।
व्युत्पत्ति
शब्दों का मूल।
समानार्थी और विलोम
शब्द ज्ञान वृद्धि।
लिपि परिवर्तक
देवनागरी से रोमन आदि।
इनपुट विधियाँ
देवनागरी कीबोर्ड।
रोमन में लिप्यंतरण
IAST, Harvard-Kyoto।
अन्य भारतीय लिपियाँ
कुछ ऐप्स में।
कॉपी-पेस्ट सुविधा
आसान साझाकरण।
टेक्स्ट-टू-स्पीच
लिपिबद्ध पाठ का वाचन।
फाइल सेविंग
परिवर्तित पाठ को सहेजना।
पुस्तकें और पारंपरिक अध्ययन
ग्रंथों और गुरु-शिष्य परंपरा से सीखना।
लघुसिद्धान्तकौमुदी
प्रारंभिक व्याकरण ग्रंथ।
वरदराज कृत
पाणिनि व्याकरण का सरल रूप।
संज्ञा प्रकरण
मूल परिभाषाएँ।
संधि प्रकरण
स्वर, व्यंजन, विसर्ग।
शब्द रूप (सुबन्त)
विभक्तियाँ।
धातु रूप (तिङन्त)
लकार।
कृदन्त प्रकरण
धातुओं से बने शब्द।
कारक प्रकरण
विभक्तियों का प्रयोग।
टीकाएँ और सहायक पुस्तकें
समझने में आसानी के लिए।
बालमनोरमा (वासुदेव दीक्षित)
प्रसिद्ध टीका।
हिन्दी अनुवाद और व्याख्या
अनेक लेखकों द्वारा।
अभ्यास पुस्तिकाएँ
ज्ञान को परखने के लिए।
ऑडियो/वीडियो व्याख्यान
यूट्यूब आदि पर।
सरलीकृत संस्करण
शुरुआती छात्रों के लिए।
कार्यशालाएँ
विद्वानों द्वारा।
गुरुकुल और आचार्य
पारंपरिक शिक्षण पद्धति।
व्यक्तिगत मार्गदर्शन
गुरु से प्रत्यक्ष सीखना।
मुखोद्गत परंपरा
कंठस्थ करना।
शंका समाधान
सीधा संवाद।
नैतिक शिक्षा
चरित्र निर्माण।
आश्रम जीवन
अनुशासन और सादगी।
विभिन्न शास्त्र
व्याकरण, दर्शन, साहित्य।
दीर्घकालिक अध्ययन
गहन ज्ञान।
आधुनिक गुरुकुल
परंपरा और आधुनिकता का समन्वय।
प्रमाणित पाठ्यक्रम
सरकारी मान्यता।
आधुनिक विषय
कंप्यूटर, अंग्रेजी आदि।
सुविधाएँ
छात्रावास, पुस्तकालय।
वैश्विक संपर्क
छात्र आदान-प्रदान।
शोध गतिविधियाँ
पाण्डुलिपि अध्ययन।
रोजगारोन्मुखी
शिक्षण, पुरोहिती, शोध।