कविता

उद्घोषक/मुख्य वक्ता – दृढ़, गरजती हुई आवाज में, प्रत्येक शब्द पर जोर देते हुए

सुनो रे सत्ता के मद में चूर, नीति के अंधकार!

आवाज में चुनौती, थोड़ा ठहराव

अतिथि कह कर मत भूलो… हम हैं शिक्षा के अंगार!

आवाज ऊँची, दृढ़

दशकों से जोत रहे हम, ज्ञान की अखंड ज्वाला,

आवाज में पीड़ा और आक्रोश का मिश्रण

अब प्रतिफल में छल पाएँ? यह न्याय नहीं… घोटाला!

अंतिम शब्द पर विशेष जोर
कोरस – सभी प्रतिभागी या समूह एक साथ, जोशीली, एकीकृत और गूंजती हुई आवाज में
पहली दो पंक्तियाँ – दृढ़ संकल्प के साथ, मध्यम गति

नहीं सहेंगे, नहीं झुकेंगे, यह शोषण का व्यापार!

अतिथि नहीं, हम रणधीर हैं, करने सत्य साकार!

अगली दो पंक्तियाँ – आवाज और ऊँची, गति थोड़ी तेज, चुनौती स्पष्ट

नियमितीकरण अधिकार हमारा, लेकर हम रहेंगे!

सिंहनाद है, चुनौती है, अब पीछे ना हटेंगे!

मुख्य वक्ता – आवाज में व्यंग्य और फिर बढ़ता हुआ आक्रोश

कालिख पोती बही-खातों पर, अनुभव का उपहास किया!

प्रत्येक शब्द पर जोर

अर्ध-वेतन… अर्ध-जीवन दे… प्रतिभा का संहार किया!

आवाज में पीड़ा, फिर दृढ़ता

जब-जब संकट शिक्षा पर आया, हम ही बने थे ढाल,

प्रश्नवाचक, चुनौती भरी आवाज

आज हमारे ही भविष्य पर, क्यों कसते हो यह जाल?

कोरस – पहले से अधिक ऊर्जा और आक्रोश के साथ

नहीं सहेंगे, नहीं झुकेंगे, यह शोषण का व्यापार!

अतिथि नहीं, हम रणधीर हैं, करने सत्य साकार!

नियमितीकरण अधिकार हमारा, लेकर हम रहेंगे!

सिंहनाद है, चुनौती है, अब पीछे ना हटेंगे!

मुख्य वक्ता – आवाज में संघर्ष की पीड़ा, फिर अदम्य साहस

लाठियाँ खाईं… अपमान सहे… पर टूटा नहीं मनोबल!

आवाज में गर्व

हृदय में धधके क्रांति की ज्वाला, संकल्प हमारा प्रबल!

आवाज में दृढ़ विश्वास, चुनौती

ये कागज़ के नियम तुम्हारे, हमें कब तक भरमाएँगे?

भविष्यवाणी करती हुई, ऊँची आवाज

सत्य की इस समरभूमि में, हम विजय पताका फहराएँगे!

कोरस – चरम पर ऊर्जा, जैसे युद्धघोष

नहीं सहेंगे, नहीं झुकेंगे, यह शोषण का व्यापार!

अतिथि नहीं, हम रणधीर हैं, करने सत्य साकार!

नियमितीकरण अधिकार हमारा, लेकर हम रहेंगे!

सिंहनाद है, चुनौती है, अब पीछे ना हटेंगे!

मुख्य वक्ता – आह्वान करती हुई, व्यापक और गूंजती आवाज

हर कक्षा… हर विद्यालय से… उठी है यह हुंकार!

चेतावनी देती हुई, गंभीर आवाज

बधिर तंत्र को आज सुना दो, यह अंतिम ललकार!

मांग स्पष्ट, दृढ़

हमारे श्रम का, हमारे ज्ञान का, अब तो करो सम्मान,

अंतिम चेतावनी, गंभीर और भारी आवाज

अन्यथा इस महासमर में… होगा घोर संग्राम!

अंतिम उद्घोष – सभी प्रतिभागी, या मुख्य वक्ता और कोरस मिलकर, विजय के विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ, प्रत्येक पंक्ति पिछली से अधिक ऊँची और शक्तिशाली
पहली पंक्ति – फौलादी दृढ़ता

फौलादी हैं, इरादे पक्के, हम ना हारेंगे!

दूसरी पंक्ति – अटल संकल्प

अपना हक़, अपनी अस्मिता, छीनकर ही मानेंगे!

तीसरी पंक्ति – क्रांतिकारी उद्घोष, आकाश को गुंजाते हुए

इंकलाब का नारा गूँजे, थर्राए सिंहासन!

चौथी पंक्ति – एकता का प्रदर्शन

अतिथि शिक्षक एकता जिंदाबाद, शिक्षा का अनुशासन!

पांचवी पंक्ति – विजय का विश्वास, चरम पर आवाज

विजय हमारी, निश्चित है, यह है युग का आह्वान!

© यह संघर्ष विजय तक जारी रहेगा।

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